कई बार पॉजिटिव थिंकिंग के पॉजिटिव रिजल्ट देखने के बाद भी हम अपनी निगेटिव थिंकिंग को दोष न देकर कहते हैं ….
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मैं-बुरे कर्मों से आपका आने वाला कल बुरा हो जाता है।
Jb insan dunia m jnm lenta h uska bhagya pehle hi teh ho jata h .karm to vo bad m krta h…es lyi luck overweigh the karma ..bcoz jo luck m likha hota h krm b usi ke acc hote h
विनोद काम्बली और सचिन को ही ले लें….दोनों एक जैसे मेहनती थे पर भाग्य ने एक को कहाँ पहुंचा दिया और दुसरे को कहाँ छोड़ दिया.
इस प्रकार, कर्म हमारे भाग्य का get more info निर्माण करता है और हमारे कार्यों, शब्दों और विचारों का परिणाम होता है। इसलिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि हम ही अपने भाग्य के निर्माता हैं और हमें अपने कर्मों को ध्यान में रखकर जीवन जीना चाहिए ताकि हम सकारात्मक और संतुलित जीवन जी सकें।
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बच्चों को पता नहीं था कि उधर से कोई गुजर रहा है और न ही राहगीर को पता था कि बच्चे आम तोडनÞे के लिए पत्थर फेंक रहे हैं। ऐसे में एक पत्थर आकर उसके सिर में लगा। अब जिस बच्चे के पत्थर से राहगीर घायल हुआ, उसने पत्थर आम तोडनÞे के लिए फेंका (कर्म) था न कि चोट पहुंचाने के लिए। अर्थात जिस उद्देश्य के लिए कर्म किया गया वह तो पूरा हुआ नहीं उल्टे एक व्यक्ति घायल हो गया। यहां कर्म और भाग्य दोनों को देखा जा सकता है। बच्चे का कर्म राहगीर का दुर्भाग्य बन गया।
पर हम किसी लगातार सफल व्यक्ति के ये गुण खुद में उतारने के स्थान पर लगेंगे भाग्य को दोष देने
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खुद को भाग्य के भरोसे वही छोड़ता है जो कर्म नहीं करना चाहता। कर्म करने से ही भाग्य बनता है। जिसको कर्म में जितना विश्वास है वह व्यक्ति उतना ही सक्सेस होगा। हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने से न ही भाग्य साथ देता है और न कर्म ही होता है।
आचार्य जी-तो फिर आप ज्योतिष सीख कर क्या करना चाहते हो?
मैं-आचार्य जी, मैं लोगों को सही राह दिखाना चाहता हूं, जिससे वह अच्छे कर्म करें और आने वाले समय में अच्छा समय जियें ।
कर्म की मुख्य अवधारणा यह है कि सकारात्मक कार्य से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है और नकारात्मक कार्य का परिणाम नकारात्मक होता है। इन दोनों के बीच कारणिक संबंध व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति को शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रतिदिन निर्धारित करता है।